प्रश्नोत्तरमणिमाला/ Prashnottarmanimala

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स्वामी रामसुखदास जी के पुस्तक ‘प्रश्नोत्तरमणिमाला’ गीताप्रेस
प्रश्न – जीव का भगवान में आकर्षण (प्रेम ) है , पर भगवान का जीव में आकर्षण कैसे है ?
उत्तर – आकर्षण तो भगवान और जीव – दोनों में है ,पर भूल जीव में है , भगवान में नहीं |जैसे बच्चे को माँ का प्रेम नहीं दिखता , ऐसे ही संसार में आकर्षण होने के कारण मनुष्य को भगवान का प्रेम (आकर्षण ) नहीं दिखता | यदि भगवान का प्रेम दिखे (पहचान में आये ) तो उसका संसार में आकर्षण हो ही नहीं |
भगवान कहते है – ‘ सब मम प्रिय सब मम उपजाए’
भगवान का प्रेम ही जीव को खींचता है , जिससे कोई भी परिस्थिति निरन्तर नहीं रहती

इस पुस्तक में स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज के सत्संग  तथा  प्रवचनों का एक अनुपम संग्रह है।

Description

स्वामी रामसुखदास जी के पुस्तक ‘प्रश्नोत्तरमणिमाला’ गीताप्रेस
प्रश्न – जीव का भगवान में आकर्षण (प्रेम ) है , पर भगवान का जीव में आकर्षण कैसे है ?
उत्तर – आकर्षण तो भगवान और जीव – दोनों में है ,पर भूल जीव में है , भगवान में नहीं |जैसे बच्चे को माँ का प्रेम नहीं दिखता , ऐसे ही संसार में आकर्षण होने के कारण मनुष्य को भगवान का प्रेम (आकर्षण ) नहीं दिखता | यदि भगवान का प्रेम दिखे (पहचान में आये ) तो उसका संसार में आकर्षण हो ही नहीं |
भगवान कहते है – ‘ सब मम प्रिय सब मम उपजाए’
भगवान का प्रेम ही जीव को खींचता है , जिससे कोई भी परिस्थिति निरन्तर नहीं रहती

इस पुस्तक में स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज के सत्संग  तथा  प्रवचनों का एक अनुपम संग्रह है।

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Weight 0.4 g

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