Description
यह पुस्तक बताती है कि भक्ति का अभ्यास कैसे किया जाता है, भगवान का ध्यान कैसे किया जाता है, यह भक्तों के उदाहरणों के साथ भक्ति की महिमा को दर्शाता है, जिन्होंने राम कथा और कृष्ण कथा के साथ श्रद्धा की अवधारणा को प्रदर्शित किया।
यह पुस्तक जीवनमुक्त मनीषी ब्रह्मलीन श्रीजयदयालजी गोयन्दकाद्वारा प्रवचनके रूपमें प्रस्तुत अनेक लौकिक तथा पारलौकिक विषयोंपर सरल और सुबोध भाषामें शास्त्रानुभूत विचारोंका दुर्लभ संकलन है।
Additional information
Weight | 0.3 g |
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