Description
कठ उपनिषद् या कठोपनिषद, एक कृष्ण यजुर्वेदीय उपनिषद है। कठोपनिषद कृष्ण यजुर्वेदीय शाखा के अन्तर्गत एक उपनिषद है। यह उपनिषद संस्कृत भाषा में लिखा है। इसके रचियता वैदिक काल के ऋषियों को माना जाता है परन्तु मुख्यत वेदव्यास जी को कई उपनिषदों का लेखक माना जाता है
कृष्ण यजुर्वेद के कठशाखा के अंश इस उपिनषद में जहाँ यम-नचिकेता-संवाद के रूप में ब्रह्मविद्या का विशद वर्णन सुबोध और सरल शैली में किया गया है, वहीं इसमें वर्णित नचिकेता-चरित्र पितृ-भक्ति का अनुपम आदर्श है। सानुवाद, शांकरभाष्य।
कठोपनिषद् भारतीय उपनिषद साहित्य की एक महान रचना है, जो यजुर्वेद की शाखा में आती है। यह उपनिषद आत्मा और परमात्मा के रहस्य, मृत्यु के बाद जीवन, तथा मोक्ष के गूढ़ रहस्यों पर आधारित एक संवादात्मक शैली में रचित है।
इस ग्रंथ का मुख्य संवाद नचिकेता नामक एक जिज्ञासु बालक और यमराज (मृत्यु के देवता) के बीच होता है। नचिकेता अपने पिता द्वारा किए गए यज्ञ के दोष को देखकर गहन जिज्ञासा के साथ मृत्यु के रहस्य को जानने हेतु यमराज के पास जाता है। यमराज उसे तीन वर देने को कहते हैं, जिनमें अंतिम वर के रूप में नचिकेता आत्मा और मृत्यु के बाद की स्थिति का रहस्य पूछता है।
मुख्य विषयवस्तु और दर्शन:
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आत्मा क्या है? क्या वह नश्वर शरीर से अलग है?
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मृत्यु के बाद आत्मा की गति क्या होती है?
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मोक्ष (मुक्ति) क्या है, और उसे कैसे प्राप्त किया जा सकता है?
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ज्ञानी और अज्ञानी मनुष्यों के जीवन का अंतर
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इन्द्रियों पर संयम, और विवेक के महत्व
कठोपनिषद् केवल एक धार्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक दार्शनिक मार्गदर्शक है। यह व्यक्ति को आत्मा के ज्ञान, आत्मनियंत्रण और मोक्ष की ओर प्रेरित करता है। इसका संदेश आज भी उतना ही प्रासंगिक है जितना कि सहस्त्रों वर्ष पूर्व था।
प्रेरणादायक श्लोक:
“उत्तिष्ठत जाग्रत प्राप्य वरान्निबोधत।”
(उठो, जागो, और श्रेष्ठ ज्ञान को प्राप्त करो)
यदि आप आध्यात्मिक जिज्ञासा, मृत्यु के रहस्य, और ब्रह्मज्ञान में रुचि रखते हैं, तो कठोपनिषद् आपके लिए एक अनमोल ग्रंथ है।
Additional information
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