एकै साधे सब सधै/ Ek sadhe sab sadhe

25.00

रहीम से प्रभावित होकर स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने एकाग्र

ध्यान को विषय बनाकर दिये गये प्रवचनो का एक अनुपम संग्रह –

रहीम कहते हैं कि पहले एक काम पूरा करने की ओर ध्यान देना चाहिए। बहुत से काम एक साथ शुरू करने से कोई भी काम ढंग से नहीं हो पता, वे सब अधूरे से रह जाते हैं। एक ही काम एक बार में किया जाना ठीक है। जैसे एक ही पेड़ की जड़ को अच्छी तरह सींचा जाए तो उसका तना, शाख़ाएँ, पत्ते, फल-फूल सब हरे-भरे रहते हैं।

 मन को एक समय में एम विषय पर केंद्रित किया जाए तो उसमें असफलता असंदिग्ध है। एक समय में अनेक विषयों में बुद्धि लगाने से किसी में भी सफलता अर्जित नहीं की जा सकती। कहा भी गया है कि जो आधे को छोड़ पूरे के चक्कर में भागता है, उसे पूरा तो नहीं मिलता, आधे से भी हाथ धो बैठता है। सदैव एकल सिद्धि करनी चाहिए, इसी से सब सिद्ध हो जाता है।

Description

रहीम से प्रभावित होकर स्वामी श्री रामसुखदास जी महाराज ने एकाग्र

ध्यान को विषय बनाकर दिये गये प्रवचनो का एक अनुपम संग्रह –

रहीम कहते हैं कि पहले एक काम पूरा करने की ओर ध्यान देना चाहिए। बहुत से काम एक साथ शुरू करने से कोई भी काम ढंग से नहीं हो पता, वे सब अधूरे से रह जाते हैं। एक ही काम एक बार में किया जाना ठीक है। जैसे एक ही पेड़ की जड़ को अच्छी तरह सींचा जाए तो उसका तना, शाख़ाएँ, पत्ते, फल-फूल सब हरे-भरे रहते हैं।

 मन को एक समय में एम विषय पर केंद्रित किया जाए तो उसमें असफलता असंदिग्ध है। एक समय में अनेक विषयों में बुद्धि लगाने से किसी में भी सफलता अर्जित नहीं की जा सकती। कहा भी गया है कि जो आधे को छोड़ पूरे के चक्कर में भागता है, उसे पूरा तो नहीं मिलता, आधे से भी हाथ धो बैठता है। सदैव एकल सिद्धि करनी चाहिए, इसी से सब सिद्ध हो जाता है।

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